हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, इमाम ए जुमआ नजफ़ अशरफ़, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन क़बांची ने हुसैनिया-ए-आज़म फातिमिया, नजफ़ अशरफ़ में जुमे के ख़ुतबे के दौरान कहा कि सैयद हसन नसरल्लाह ने हमेशा शहादत की ख्वाहिश की और अल्लाह के धर्म की हिफ़ाज़त के लिए दुनियावी लज़्ज़तों को त्याग दिया।
उन्होंने आगे कहा कि लेबनान में जो खून बहाया गया, वह एक नैतिक आंदोलन का प्रतीक था और इसने हमारी क़ौम में नई ज़िन्दगी और जज़्बा पैदा किया अब इस्लाम धर्म की हिफ़ाज़त सभी लोगों का मुद्दा बन चुका है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन क़बांची ने ईरान का शुक्रिया अदा किया, जिसने ज़ायोनियों को कड़ी चोट पहुंचाई, और इराक़ की हुकूमत और अवाम का भी शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने लेबनान के मसले पर सकारात्मक रुख अपनाया।
उन्होंने कहा कि आज हम इन निरंतर क़ुर्बानियों, महान बलिदानों, सब्र और तक़्वा के साथ उस नज़दीकी भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं जो इमाम मेंहदी अ.स. के ज़हूर, मस्जिद-ए-अक्सा में नमाज़ की स्थापना, इसराइल की ग़ासिब हुकूमत के पतन और अमेरिका के ख़ात्मे का प्रतीक होगा।
इमामे जुमा नजफ़ अशरफ़ ने आगे कहा कि इराक़ ने हज़ारों लेबनानी प्रवासियों का स्वागत करना शुरू कर दिया है, और इस अवसर पर उन्होंने अस्ता-ए-मुक़द्दस अलवी का भी शुक्रिया अदा किया, जो लेबनानी प्रवासियों को तमाम सुविधाएं मुहैया करा रहा है।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के हालिया फ़ैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने इसराइल को मुजरिम क़रार देते हुए उसे क़ब्ज़े वाले इलाक़ों से निकलने का हुक्म दिया है।
दूसरे ख़ुतबे में इमामे जुमा नजफ़ ने कहा कि इंसान को चार अहम सवालों का जवाब देना चाहिए: मैं कौन हूँ? हमारा जवाब यह है कि हम अल्लाह के बंदे, मुसलमान और शिया हैं। दूसरा सवाल: हम कौन हैं? जवाब: हम एक मुत्तहिद उम्मत हैं, हमारे पास एक सभ्यता और पैग़ाम है। तीसरा सवाल: हम क्या चाहते हैं? जवाब: हम दुनिया और आख़िरत की भलाई चाहते हैं। चौथा सवाल: हमारा मक़सद क्या है? जवाब: हम इस्लामी हुकूमत और ज़मीन पर अल्लाह की हुकूमत की स्थापना की तरफ़ बढ़ रहे हैं।
आपकी टिप्पणी